पहली जंग-ए-आजादी 1857 का दमन
जैसा की देशभक्तों की धरती गांव धांगड़ का इतिहास -पार्ट 2 में बताया गया था 1757 की प्लासी की लड़ाई की सफलता के बाद अंग्रेजों ने 'फौज और फूट' के बल पर देश पर आधिपत्य जमाना शुरू किया तो अलग-अलग स्थानों पर लोगों द्वारा 100 से ज्यादा असफल बगावत की गई जो कि बड़ी बेरहमी से दबा दी गई।
बहादुर शाह जफर, रानी झांसी, तात्या टोपे, कुंवर सिंह, राव तुलाराम (रेवाड़ी) राजा नाहर सिंह (पलवल) और शहजादा मोहम्मद आजम हिसार के नेतृत्व में 10 मई कि मेरठ और अंबाला की छावनियों में हुई फौजी बगावत के बाद भारत में अंग्रेजो के खिलाफ राष्ट्रीय पैमाने पर विद्रोह हो गया और देश भक्तों ने 10 मई को दिल्ली पर कब्जा करके बहादुर शाह जफर को शासक घोषित करके देश के बड़े भूभाग से अंग्रेजों का सफाया कर दिया इस स्वाधीनता संग्राम में आम लोगों ने अपने रहनुमाओं के आह्वान पर लाठियों, जेलियों, गंडासों, भालों और तलवारों से अंग्रेजी सेनाओं तथा उनका साथ दे रहे बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, बहावलपुर, पटियाला, जींद, फरीदकोट और ग्वालियर की सेनाओं का डटकर मुकाबला किया और देश के अलग-अलग भागों में दो लाख से ज्यादा देशभक्त शहीद हुए।
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