हरियाणा में बगावत का असर
देश की पहली आजादी की लड़ाई में हरियाणा की जनता का आबादी के लिहाज से बेमिसाल योगदान और बलिदान था। इस युद्ध में अकेले हरियाणा के शहीदों की संख्या 26 हजार से ज्यादा थी, जिसमें पुराने हिसार जिले के लोगों का बड़ा हिस्सा था। अकेले मंगाली गांव के 500 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी थी यहां यह बता दिया जाना महत्वपूर्ण है कि बीगड़ गांव के लोगों द्वारा राजा पटियाला को मालिया देने से इंकार के बाद बीघड़ के लोगों के खिलाफ गोरखपुर की जनता द्वारा राजा पटियाला और अंग्रेजों का साथ न देने के कारण राजा पटियाला और अंग्रेजी सेना ने गोरखपुर के कच्चे किले को घेर कर हमला कर दिया। इस लड़ाई में सद्धदीन मूलाजाट और भोलासिंह के नेतृत्व में लोगों ने बहादुरी से मुकाबला किया। पूरे के पूरे गांव को अंग्रेजों द्वारा कत्लेआम का शिकार बनाया गया और गांव के बचे हुए लोग जमावड़ी (हांसी) चले गए। 1857 की जंग में गोरखपुर गांव के पांच लोगों को अंग्रेजो ने बागी घोषित किया था।
Source : Outlook India |
आजादी की पहली जंग बहादुरी से लड़ी गई परंतु गैरबराबरी की लड़ाई में आखिरकार देशभक्तों की हार हुई। अनेक देशभक्तों को फांसी पर लटकाया गया और दर्जनों गांवों को फिरंगियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया। रूहनात की तरह अनेकों गांव नीलाम कर दिए गए। 1857 की जंग में गद्दारी करने वाले राजाओं, रजवाड़ों, जागीरदारों व गद्दारों को अंग्रेजी फौज का साथ देने की एवज में बड़े-बड़े इनाम, पदवियां और जागीरें दी गई थी। पहले ही बता दिया गया है कि आज से 200 वर्ष पूर्व जेम्स स्किनर को गांव दे दिए गए थे उनमें धांगड़ भी था जो कि 1947 में आजादी के कई वर्षों बाद ही 200 वर्ष की गुलामी को खत्म कर पाया था।
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