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December 22, 2016
Thursday, December 22, 2016

गांव में प्रदेश भर के बच्चों ने सीखे तीरंदाजी के गुर

इन दिनों फतेहाबाद के धांगड़ गांव में प्रदेश भर के तीरंदाज एकत्र हुए हैं। गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तिरंदाजी की प्रैक्टिस कर रहे है। यहां जो खिलाड़ी हुए हुए हैं, उनमें से ज्यादातर हांसी से महज 11 किलोमीटर दूर गांव उमरा गांव के हैं। धांगड़ में एकत्र हुए 48 में से 32 खिलाड़ी उमरा गांव के ही हैं। वे यहां अपने कोच मनजीत मलिक के नेतृत्व में यहां प्रेक्टिस कर रहे हैं।
 
धांगड़ गांव में प्रदेश भर के तीरंदाज एकत्र हुए
मनजीत मलिक

तीरंदाजी को देखने वाले को ही बनाया इंटरनेशनल तीरंदाज

तीरंदाजों में शामिल इंटरनेशनल खिलाड़ी गांव उमरा के सिंहराम मैमोरियल स्कूल में 12वीं कक्षा के स्टूडेंट रोबिन ने बताया कि वह 10 साल की उम्र में अपने दोस्तों के साथ गांव में हॉकी खेलने जाता था और मैदान में तीरंदाजी की प्रैक्टिस को काफी देर तक देखता रहता। रोबिन ने बताया कि उसके मन में तीरंदाज बनने का ख्याल आया और पिता सुरेश कुमार को बताया।
पिता ने धांगड़ गांव के कोच मनजीत मलिक से इसके बारे में बात की। बस फिर क्या था कोच मलिक ने लकड़ी का धनुष मंगवाकर 2 साल तक इसी धनुष के सहारे उसकी प्रैक्टिस करवानी शुरू कर दी। कोच के मार्गदर्शन की बदौलत रोबिन 2011 में पहली बार राज्य स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए चुना गया और स्वर्ण पदक जीता। सितंबर 2015 में कोरिया में हुई इंटरनेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में वर्ल्ड चैम्पियन रहने वाले कोरिया के ही खिलाड़ी को धूल चटाकर अपने गांव का नाम रोशन किया। रोबिन का अब लक्ष्य ओलंपिक 2020 है। इसे जीतकर अपने गुरू का मान बढ़ाना है। इसके अलावा प्रीति,हिमानी रीना सहित करीब 50 नेशनल खिलाड़ी यहीं प्रैक्टिस करते है।
कोच मनजीत मलिक पिछले 13 सालों से गांव के बच्चों को फ्री में तीरंदाजी के गुर सिखा रहे है। प्रैक्टिस के लिए जगह मिलने कोच मलिक ने हिम्मत नहीं हारी और खेत को ही खिलाड़ियों के लिए प्रैक्टिस का मैदान बना दिया। बाद में गांव के ही पवन कुमार ने अपनी जमीन में से 3 एकड़ मनजीत मलिक को नर्सरी बनाने के लिए दे दी। इसी नर्सरी में अब नेशनल इंटरनेशनल खिलाड़ियों को तराशा जा रहा है।
तीरंदाजी में प्रयोग होने वाले धनुष तीर काफी महंगे हाेते है। एक धनुष ही अढ़ाई लाख रुपये में आता है और एक तीर की कीमत करीब 3 हजार रुपये है। इसके बावजूद मनजीत मलिक ने ऐसे गरीब बच्चों का हाथ पकड़ा जिनके सिर पर बाप का साया भी नहीं था। धनुष के लिए रुपये नहीं होने पर दूसरे विजेता खिलाड़ी के ईनाम राशि सहयोग राशि की बदौलत धनुष तीर दिलवा दिया। ऐसे जरूरतमंद खिलाड़ी भी नेशनल लेवल पर अपने हुनर दिखा रहे है।
मनजीत मलिक का कहना है कि उनका जीवन केवल खेल और खिलाड़ी को ही समर्पित है। पौधे के रूप में गांव में ही एक नर्सरी सिंची है। जो आगे ले जाना खिलाड़ियों का काम है। उनका उद्देश्य तो केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना और उन्हें सही दिशा दिखाना है। हर तीरंदाजी प्रतियोगिता में अपने खिलाड़ियों के साथ होते है और तीरंदाजी के हर पहलू के महत्व को बारीकी से बताते है।

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