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August 11, 2017
Friday, August 11, 2017


11अगस्त 1908 को प्रातः काल 6 बजे मुजफ्फरपुर जेल में भारत के लाडले सपूत खुदीराम बोस को अँग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया। फांसी के समय खुदीराम बोस की आयु 19 वर्ष से भी कम थी।
खुदीराम बोस व उनके मित्र प्रफुल्ल चाकी ने जालिम अँग्रेज जज किग्सफोड पर 30 अप्रैल 1908 को साँय अन्धकार मे उसकी बुग्गी पर बम से हमला कर दिया था। बुग्गी मे इत्तेफाक से किग्सफोर्ड नहीं बैठा था।उसमें बैठी दो अँग्रेज मेम तथा बुग्गी की घोडी मौके पर ही मर गई। उस बम के धमाके की आवाज तीन मील तक सुनाई दी थी। खुदीराम बोस और चाकी दोनों  रेलवे लाइन के साथ साथ रात में ही 24 मील दूर निकल गए। उधर चारों तरफ पुलिस का जाल फैल गया था।अगले दिन पुलिस को एक गांव में जहाँ ये छुपे हुए थे शक के कारण खुदीराम को गिरफ्तार कर लिया गया। चाकी भागने में कामयाब हो गया था लेकिन एक बनर्जी नाम के दरोगा ने शक होने पर पुलिस को सूचना दे दी। चारों तरफ से घिर जाने पर चाकी ने पिस्तौल से अपने ऊपर गोली मारकर खत्म कर लिया था। 1908 के अंत तक मुखबिर दरोगा बनर्जी को इनके साथी क्राँतिकारियों ने गोली से उडा दिया था।
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के जानकार बताते हैं कि खुदीराम बोस पहला क्रांतिकारी था जिसने अँग्रेजी साम्राज्य को ये जता दिया था कि इस देश के युवाओ को जुल्म व गुलामी की जंजीरों से अब और जकड़ कर नहीं रख जा सकता।

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