1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय इंसान राकेश शर्माकी कुछ रोचक बाते
1. Rakesh Sharma ऐसे पहले इंसान थे जिन्होंने अंतरिक्ष में रशियन को भारतीय खाना खिलाया था –
डिफेन्स फ़ूड रिसर्च लेबोरेटरी ने सूजी हलवा, आलू छोले और सब्जी पुलाव शर्मा को अंतरिक्ष जाते समय दिया था।
2. अंतरिक्ष में होने वाली बीमारियो से बचने के लिए वे योगा करते थे –
1984 में “शून्य गुरुत्वाकर्षण योगा” का अभ्यास शर्मा ने किया था और उनके इस प्रयास की रोकॉस्मोस ने काफी तारीफ भी की थी। 2009 की कांफ्रेंस में शर्मा ने अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को सलाह भी दी थी की वे अंतरिक्ष में जाने से पहले वहाँ की बीमारियो से बचने के लिए योग अभ्यास करे।
3. Rakesh Sharma को भारत के सर्वोच्च अवार्ड अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था –
शांति काल के सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से राकेश शर्मा और उनके दो रशियन साथियो को भी सम्मानित किया गया था। यह पहला और अंतिम मौका था जब किसी विदेशी नागरिक को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
4. उन्होंने इंदिरा गांधी के प्रश्न का सबसे उचित जवाब दिया था –
उस समय की भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब राकेश शर्मा से पूछा की अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखाई देता है तब जन्होंने बड़े ही गर्व से कहा था, सारे जहाँ से अच्छा।
5. राकेश शर्मा को हीरो ऑफ़ सोवियत संघ के नाम से जाना जाने लगा –
अंतरिक्ष से वापिस आने के बाद शर्मा ने भारत के इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना जोड़ दिया था। उनके कार्यो को देखते हुए रशियन सरकार ने उन्हें हीरो ऑफ़ सोवियत संघ की उपाधि से सम्मानित किया था।
6. 2014 में 65 साल की आयु में राकेश शर्मा को अंतरिक्ष यात्रा करने का एक और मौका चाहिए था –
65 की उम्र होने के बाद भी उनके अंदर का जज्बा अभी मरा नही था, वे एक और बार अंतरिक्ष की यात्रा करना चाहते थे।
7. पाँच साल की उम्र से ही जेट उड़ाने की उनकी इच्छा थी –
शर्मा बचपन से ही जेट उड़ान चाहते थे और युवा होने के बाद उनका यह सपना पूरा भी हुआ।
राकेश शर्मा बचपन से ही जेट उड़ान चाहते थे और युवा होने के बाद उनका यह सपना पूरा भी हुआ। एक वायूसेना के पायलट के तौर पर अपनी नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका सफर भारतीय वायूसेना से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा। अपने सफर को याद करते हुए शर्मा ने एक बार कहा था कि मैंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था, जब मैं पायलट बन गया तो सोचा सपना पूरा हो गया।
उनके अथक प्रयासों और अटूट महेनत के बल पर ही उन्होंने 8 दीनो का अंतरिक्ष सफ़र तय किया था और पूरी दुनिया को बता दिया था की यदि दिल से किसी सपने को पूरा करने की ठाने तो कुछ भी असंभव नही।
भारत के लिए राकेश शर्मा किसी कोहिनूर से कम नही थे, भारतवासी उनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखेंगे।
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